Saturday, June 22, 2024

मर्ज

आजादी से पहले, आजादी से आज तक, 
बदलते रहे ईलाज, पर मर्ज वही आज तक। 
ये मुल्क है जनाब, थे एक नहीं कल भी ,
हाँ अब भी बिखरे हुए, कि दर्द वही आजतक। 
टुकड़े हुए थे देश के,जिस शक ओ शुबहा पर,
जमा हुआ है रूह में , वो गर्द अभी आज तक। 
बात यूँ है अमन की , मिट गया जो भी चला , 
रह गया है बाकी वो,  कर्ज अभी आज तक। 

अजय अमिताभ सुमन

Saturday, June 15, 2024

जमात

क्या  गिद्ध  की जमात  है  भाई,

आपस   में   सब   करे  लड़ाई।  

जब  भी  चीता   कोई      आए,

बन   जाए   सब   भाई    भाई।

गिद्ध  लोमड़  की  बात  यही है,

गीदड़   की  भी  जात  यही  है।

छल  करने  को हीं सब मिलते ,

फिर क्या ये फिर क्या वो भाई। 


अजय अमिताभ सुमन

Saturday, June 8, 2024

जंजीर

जंजीर


जहाँ आदम की जात और बाते हों पीर की। 

प्यादे की चाल और  बातें वजीर की। 

खेत हो किसानों के गेहूं अमीर की। 

अमन के नाम पर बातें हो तीर की। 

देख कहीं तो क्या हिंद आ गये है हम? 

कि चीखती पुकार पर बाते जंजीर की। 


अजय अमिताभ सुमन

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