Wednesday, December 6, 2017

उपरत



कह गए अनगिनत सन्तन है,
चित संलिप्त नित चिंतन है।

स्थितप्रज्ञ उपरत अविकल जो,

अरिहत चिरंतन है।



                   
अजय अमिताभ सुमन

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