मणिकर्णिका घाट, वाराणसी—वह पवित्र श्मशान, जहाँ चिताओं की आग रात-दिन जलती है, और राख हवा में ऐसे उड़ती है जैसे आत्माएँ इंस्टाग्राम पर #SoulVibes के साथ स्टोरीज पोस्ट कर रही हों। यहाँ जीवन और मृत्यु रोज़ सुबह बनारसी चाय की चुस्की लेते हुए गपशप करते हैं, और कई बार दोनों कन्फ्यूज़ हो जाते हैं कि कौन किसकी कॉल ड्रॉप कर रहा है।
ऐसी ही एक स्याह, ठंडी, और राख-भरी रात को, जब चाँद बादलों के पीछे डरकर दुबक गया था और झींगुर श्मशान का DJ बनकर "सन्नाटा ट्रैक" बजा रहे थे, मणिकर्णिका घाट पर दो परछाइयाँ टकराईं। ये थे ब्रिजमोहन तिवारी उर्फ "BM टीवी" और डॉ. अनिरुद्ध झा उर्फ "फिलॉसफी वाला झा जी"। लेकिन असली मज़ा तब शुरू हुआ, जब एक मॉडर्न अघोरी ने अपने 5G स्मार्टफोन के साथ एंट्री मारी, और दोनों ने उसे भूत समझ लिया। तो, बनारसी पान चबाइए, कुल्हड़ में चाय लीजिए, और इस हास्य, डर, दर्शन, और अहंकार की रोलरकोस्टर राइड में कूद पड़िए!
ब्रिजमोहन तिवारी, जिन्हें गाँव वाले प्यार से "BM टीवी" बुलाते थे, कभी मणिकर्णिका घाट के सुपरस्टार पंडित थे। उनके श्लोकों की गूँज में लोग मोक्ष का रास्ता ढूँढते थे, और उनकी चंदे की थाली हमेशा खनकती थी। लेकिन डिजिटल युग में BM टीवी ने पंडिताई को "लॉग आउट" कर दिया और यूट्यूब की दुनिया में "लॉग इन" हो गए। उनका चैनल, "शास्त्र से श्मशान तक", 4.5 लाख सब्सक्राइबर्स के साथ ट्रेंडिंग में था। उनका फंडा था—हर सवाल का जवाब श्लोक में! अगर कोई पूछता, "भैया, मेरा फोन हैंग क्यों हो रहा?"
तो ब्रिजमोहन जी ड्रामैटिक अंदाज़ में बोल पड़ते, "गीता में कहा है—नैनं छिंदंति शस्त्राणि, फोन भले हैंग हो, आत्मा का प्रोसेसर कभी क्रैश नहीं होता!" और फिर डिस्क्रिप्शन में UPI लिंक डाल देते, "डोनेट करें, मोक्ष पाएँ!"
उनकी दाढ़ी में राख की स्टाइलिश लेयर थी, और आँखों में ऐसी चमक जैसे यूट्यूब का "मोनेटाइज़" बटन ऑन हो। उस रात, ब्रिजमोहन मणिकर्णिका घाट पर अपने अगले वायरल वीडियो की शूटिंग के लिए आए थे। टॉपिक था—"श्मशान में भूतों से मुलाकात: लाइव स्ट्रीम!" उनके पास था एक तिपाई, 4K कैमरा, और बनारसी पान, जिसे वो "श्मशान का एनर्जी बूस्टर" कहते थे। उनकी जेब में एक पुराना स्मार्टफोन भी था, जिसका स्क्रीन गार्ड टूटा हुआ था, लेकिन वो इसे "आत्मा का दर्पण" कहते थे।
तो दूसरी तरफ थे डॉ. अनिरुद्ध झा, बी.एच.यू. के दर्शनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर, जिन्हें स्टूडेंट्स "फिलॉसफी वाला झा जी" कहते थे। उनके लेक्चर्स इतने गहरे थे कि सुनने वाला या तो नीत्शे बन जाता था या नींद का शिकार। झा जी का मानना था कि ज़िंदगी एक "कॉस्मिक सॉफ्टवेयर बग" है। उनके शब्दों में, "इंसान पैदा इसलिए हुआ, क्योंकि ब्रह्मांड ने गलती से उसका आधार कार्ड अपलोड कर दिया।"
उनकी जेब में हमेशा एक पेन और डायरी रहती थी, जिसमें वो मृत्यु के नए-नए दर्शन लिखते। उनकी पेन की स्याही हर रात खत्म हो जाती, और वो इसे "मृत्यु का मेटाफर" कहते। उनके स्टूडेंट्स का कहना था कि झा जी से सवाल पूछो, तो वो ऐसा जवाब देते हैं कि आप सवाल भूलकर अपनी ज़िंदगी का मोल भूल जाते हैं।
उस रात, झा जी मणिकर्णिका घाट पर "मृत्यु का एक्सपेरिमेंटल स्टडी" करने आए थे। उनकी डायरी में लिखा था: "श्मशान की राख में जीवन का सत्य छुपा है, और बनारसी चाय उसका API।" लेकिन उनकी पेन की स्याही फिर खत्म हो गई। वो बड़बड़ाए, "ये स्याही मृत्यु का प्रतीक है, लेकिन चाय ज़िंदगी का रीचार्ज!" उनकी जेब में एक पुराना लिंक्डइन प्रोफाइल का प्रिंटआउट भी था, जिसे वो "मेरे विचारों का पासपोर्ट" कहते थे।
मणिकर्णिका घाट पर सन्नाटा ऐसा था कि झींगुरों की आवाज़ हॉरर मूवी का BGM लग रही थी। चिताओं की आग धीमी पड़ रही थी, और राख हवा में डांस कर रही थी। एक आधा जला हुआ चाय का कुल्हड़ पड़ा था, जिसमें चाय कम थी, लेकिन बनारसी मसाले की गंध ज़रूर थी। कुल्हड़ के पास एक अधजली लकड़ी थी, जिस पर लिखा था: "मोक्ष मार्ग, नो रिटर्न टिकट।" तभी एक काला कुत्ता, जो शायद श्मशान का अनऑफिशियल चौकीदार था, वहाँ आया।उसने ब्रिजमोहन जी को देखा, सूंघा, और भौंकते हुए भाग गया, जैसे उसने कोई भूत देख लिया हो।
डॉ. झा इस पर जोर-जोर से हंसने लगे, मानो कुत्ते ने उन्हें कोई नोबेल पुरस्कार दे दिया हो। ब्रिजमोहन जी ने कटाक्ष मारा, "अरे प्रोफेसर साहब, इतना खुश क्यों हो रहे हैं? कुत्ता है, भूत को देखकर भागेगा ही!"
डॉ. झा ने चौंकते हुए जवाब दिया, "क्या बकवास कर रहे हैं, तिवारी जी? मैं आदमी हूं, भूत नहीं! जानवर भूत को कैसे देख सकता है?"
ब्रिजमोहन जी ने अपनी यूट्यूबर वाली स्टाइल में ड्रामैटिक पॉज लिया और बोले, "जरा गौर फरमाइए, प्रोफेसर साहब। आपकी छाया कहां बन रही है? आदमी होते, तो छाया बनती ना!"
डॉ. झा ने तुरंत पलटवार किया, "अरे, आपकी भी तो छाया नहीं बन रही! तो क्या आप भी भूत हैं? इस काली रात में छाया बनेगी भी कैसे? और वैसे भी, मैं आपको दिख रहा हूं, बात कर रहा हूं। कुत्ता ही नहीं, आप भी तो मुझे महसूस कर रहे हैं। मैं भूत कैसे हो सकता हूं? कहीं आप तो भूत नहीं?"
बस, फिर क्या था? मणिकर्णिका घाट पर शुरू हुआ तर्क का महायुद्ध, जिसमें दोनों एक-दूसरे को भूत साबित करने पर तुल गए। ब्रिजमोहन जी ने शास्त्रों का सहारा लिया, तो डॉ. झा ने दर्शनशास्त्र की किताबें खोल दीं।
ब्रिजमोहन जी: "भूत वो नहीं जो दिखता नहीं, भूत वो है जो दिखता है, बात करता है, लेकिन खुद को नहीं देख पाता। और आप, प्रोफेसर साहब, उसी कैटेगरी में हैं। आपकी आत्मा तो यूट्यूब पर व्यूज बटोर रही होगी!"
डॉ. झा (ध्यानमग्न मुद्रा में): "मैं आत्मा हूं, विचारों का प्रवाह। मैं मरता नहीं, मैं बस रूप बदलता हूं। मेरे विचार जिंदा हैं, मतलब मैं जिंदा हूं। भूत तो आप हैं, तिवारी जी! जो हर बात में मृत्यु ढूंढता है, वो खुद मर चुका होता है।"
ब्रिजमोहन जी: "अगर मैं भूत हूं, तो मुझे पवित्र अग्नि क्यों नहीं जलाती? मैं तो रोज चिता के पास खड़ा रहता हूं!"
डॉ. झा: "अगर मैं भूत हूं, तो मेरी पेन की स्याही हर रात खत्म कैसे होती है? भूत तो स्याही नहीं यूज करते!"
ब्रिजमोहन जी: "आपके पैर जमीन पर नहीं टिकते। मैंने देखा, आप फ्लोट कर रहे हैं!"
डॉ. झा: "आपकी बातें जमीन से इतनी ऊपर उड़ती हैं कि नीचे गिरने पर भी क्रैश हो जाती हैं!"
तभी, श्मशान के सन्नाटे को चीरती हुई एक डरावनी हँसी गूँजी—"खी-खी-खी!" आवाज़ ऐसी थी, जैसे कोई हड्डियाँ रगड़कर टिकटॉक रील बना रहा हो।
ब्रिजमोहन जी और झा जी एक-दूसरे से चिपक गए। ब्रिजमोहन जी ने फुसफुसाए, "प्रोफेसर, ये पक्का भूत है!" झा जी ने हकलाते हुए कहा, "चुप कीजिए, वरना वो हमें ट्रेंडिंग में डाल देगा!"
घाट के एक कोने से एक काला साया प्रकट हुआ। लंबे, उलझे हुए बाल, माथे पर राख की मोटी परत, और आँखें जो लाल LED लाइट्स की तरह चमक रही थीं। उसके गले में हड्डियों की माला थी, एक हाथ में त्रिशूल, जिसके सिरे पर पान का दाग चमक रहा था। लेकिन सबसे चौंकाने वाली चीज़? उसके दूसरे हाथ में एक चमचमाता iPhone 15 Pro Max था, जिसकी स्क्रीन पर नोटिफिकेशन आ रहा था—"New Reel: #AghoriSwag, 15K Views!"
ब्रिजमोहन जी टीवी ने दाँत किटकिटाते हुए कहा, "ये क्या चीज़ है? भूत है या इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर?" झा जी ने फुसफुसाया, "भागो, ये 5G भूत है!" दोनों भागने को तैयार थे, लेकिन तभी उस साये ने अपनी भारी, गूँजती आवाज़ में कहा, "रुको, मेरे बनारसी भूतों! मैं भूत नहीं, अघोरी हूँ—मॉडर्न अघोरी बाबा भूतनाथ!"
दोनों की साँसें अटक गईं। अघोरी ने अपनी हड्डियों की माला को स्टाइल से ठीक किया और बोला, "मैं बाबा भूतनाथ हूँ। तंत्र-मंत्र मेरा बायाँ हाथ, टेक्नोलॉजी मेरा दायाँ।" उसने अपने iPhone को हवा में लहराया और बोला, "ये मेरा डिजिटल त्रिशूल है, 5G कनेक्शन और 512 GB स्टोरेज के साथ!"
ब्रिजमोहन जी ने हँसते हुए कहा, "बाबा, ये तो iPhone है, त्रिशूल नहीं! कितने का लिया?" अघोरी ने आँखें तरेरते हुए जवाब दिया, "तुम यूट्यूबर हो, तुम्हें क्या पता? ये फोन मेरी तीसरी आँख है, 48 MP कैमरा और AI-पावर्ड भूत डिटेक्शन के साथ!"
उसने अपनी स्क्रीन पर कुछ टैप किया और एक अजीब सा ऐप खोला—"Bhoot Detector Pro: Premium Edition." उसने फोन को ब्रिजमोहन जी और झा जी की ओर किया, और स्क्रीन पर लाल रंग की दो आकृतियाँ उभरीं, जिनके ऊपर लिखा था: "Confirmed Bhoot, 99.9% Accuracy." अघोरी ने चौंककर कहा, "अरे बाप रे! तुम दोनों तो भूत हो!"
झा जी ने हँसते हुए कहा, "बाबा, तेरा ऐप फालतू है। मैंने कल लिंक्डइन पर पोस्ट डाला—‘मृत्यु: एक कॉस्मिक मेम’!" BM टीवी ने समर्थन किया, "हाँ, और मेरा नया वीडियो, ‘श्मशान में बनारसी चाय’, 1000 लाइक्स क्रॉस कर गया!"
लेकिन अघोरी ने गंभीर होकर कहा, "मेरे ऐप की सटीकता 99.9% है। गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया है, 5 स्टार रेटिंग, 20 लाख डाउनलोड्स! तुम दोनों 50 साल पहले इस श्मशान में मरे थे। याद करो!"
ब्रिजमोहन जी और झा जी को पहले तो हँसी आई। ब्रिजमोहन जी बोले, "बाबा, तूने ज्यादा भांग पी ली है। मैंने तो अभी बनारसी पान खाया!" झा जी ने जोड़ा, "और मेरी जेब में चाय का बिल है!" लेकिन अघोरी ने अपनी स्क्रीन दिखाई, जिसमें उनकी पुरानी तस्वीरें थीं—1970 की, फीकी और धुंधली।
ब्रिजमोहन जी की तस्वीर में वो श्लोक पढ़ते दिख रहे थे, और झा जी चिता के पास डायरी लिए खड़े थे। अघोरी ने बताया, "50 साल पहले आप दोनों इस घाट पर आए थे।
ब्रिजमोहन जी , आपने एक तांत्रिक से श्लोकों में बहस की थी, और उसने आपको श्राप दे दिया। प्रोफेसर, आपने मृत्यु को मेटाफर साबित करने के लिए चिता में छलांग लगा दी!"
ब्रिजमोहन जी ने अपनी जेब टटोली और बोला, "मेरी जेब में तो पान का बिल है!" झा जी ने जोड़ा, "और मेरी डायरी में कल का दर्शन लिखा है!"
अघोरी ने ठहाका लगाया, "अरे, भूतों को भी बनारसी पान की लत? ये तो वायरल कंटेंट है!" उसने अपने फोन में एक और ऐप खोला—"Ghost Chat 3.0"—और बोला, "चलो, तुम दोनों की आत्माओं को शांति दिलवाता हूँ। लेकिन पहले एक रील बनाओ, हैशटैग #BhootBaba ट्रेंड करेगा!"
अघोरी ने दोनों को एक रील में डांस करने को कहा। ब्रिजमोहन जी ने "श्लोक नाच" स्टाइल में श्लोक गाते हुए डांस किया, और झा जी ने "फिलॉसफी फ्लो" में कुछ अजीब से स्टेप्स किए। अघोरी ने रील रिकॉर्ड की और इंस्टाग्राम पर अपलोड कर दी। कैप्शन था: "दो भूतों के साथ श्मशान डांस! #AghoriSwag #MokshaVibes"
ब्रिजमोहन जी (धीमी आवाज में): "तो क्या... सच में हम सब भूत हैं?"
डॉ. झा।: "नहीं... हम तो बस, ऐसे इंसान हैं, जिन्हों ने तर्क करतेते-ते जीवन से बहस कर ली... और हार गए।।"
भूत वो नहीं जो मर गया, भूत वो है जिसने तर्क की आग में जिंदगी को जला दिया। जब कोई इतनी बहस करे कि शमशान भी उसे म्यूट कर दे, तो समझ लेना, अब मौत भी उससे पीछा छुड़ाना चाहती है।
तभी, वो काला कुत्ता, जो पहले भौंककर भागा था, वापस आया। उसकी आँखें चमक रही थीं, और वो अजीब सी शांति से दोनों और अघोरी को घूर रहा था। अघोरी ने अपने फोन को कुत्ते की ओर किया, और स्क्रीन पर एक और लाल आकृति उभरी—कुत्ते की! अघोरी चौंक गया, "अरे, ये कुत्ता भी भूत है?"
ब्रिजमोहन जी ने अचानक दाढ़ी खुजलाते हुए कटाक्ष मारा, "बाबा, जरा खुद को भी तो टेस्ट करो! तुम हमसे इतनी आसानी से बात कैसे कर रहे हो? भूतों से तो भूत ही बात कर सकता है, ना? कहीं तुम भी तो भूत नहीं?" झा जी ने तपाक से समर्थन किया, "हां, बाबा! तुम्हारा 5G त्रिशूल, हड्डियों की माला, और #AghoriSwag—ये सब भूतों वाला स्टाइल है! चलाओ अपना ऐप, खुद को स्कैन करो!"
अघोरी ने हंसते हुए कहा, "अरे, मैं बाबा भूतनाथ हूं, तंत्र-मंत्र का बादशाह! मैं भूत कैसे हो सकता हूं? मेरे पास 512 GB का डिजिटल त्रिशूल है, 5 स्टार रेटिंग वाला ऐप है!" लेकिन ब्रिजमोहन जी और झा जी ने जोर दिया, "नहीं, बाबा! टेस्ट करो, वरना हम तुम्हें यूट्यूब पर डिसलाइमक मार देंगे!" अघोरी ने मजबूरी में iPhone उठाया, "Bhoot Detector Pro" ऐप खोला, और सेल्फी मोड में फोन को अपनी ओर किया।
स्क्रीन पर एक लाल आकृति उभरी—अघोरी की! ऊपर लिखा था: "Confirmed Bhoot, 99.9% Accuracy!" अघोरी का चेहरा ऐसा लटका जैसे उसका इंस्टाग्राम अकाउंट हैक हो गया हो। "ये... ये क्या? मेरा ऐप फेल हो गया? 5 स्टार रेटिंग, 20 लाख डाउनलोड्स, और ये धोखा?" उसने फोन को हवा में लहराया, जैसे कोई त्रिशूल से आसमान फाड़ देगा। "नहीं, ये बग है! मेरा ऐप 99.9% सटीक है! मैं बाबा भूतनाथ हूं, भूत नहीं!"
ब्रिजमोहन जी ने ठहाका लगाया, "बाबा, तुम्हारा ऐप सही है, लेकिन तुम गलत हो! तुम भी भूत हो, हमारे साथी! अब बोलो, #BhootBaba रील में तुम भी डांस करोगे?" झा जी ने डायरी में कुछ लिखा और बोले, "बाबा, ये कॉस्मिक सॉफ्टवेयर बग है। तुम्हारी आत्मा भी 50 साल पहले डिलीट हो चुकी है। तुम बस 5G कनेक्शन और हड्डियों की माला के साथ अपडेटेड भूत हो!"
अघोरी ने गुस्से में फोन स्क्रीन पर टैप किया, "नहीं! मैंने तो कल इंस्टाग्राम पर रील डाली थी! मेरे 15K फॉलोअर्स हैं! भूतों के पास फॉलोअर्स नहीं होते!" BM टीवी ने पान चबाते हुए कहा, "बाबा, तुम्हारे फॉलोअर्स भी भूत हैं! मणिकर्णिका का हर भूत तुम्हारी रील्स लाइमक करता है!" झा जी ने जोड़ा, "तुम्हारा iPhone तुम्हारा अहंकार है, बाबा। तुम भूत हो, लेकिन 5G वाला भूत!"
अघोरी ने हताश होकर फोन पर दोबारा स्कैन चलाया। इस बार स्क्रीन पर और डिटेल्स उभरे: "Subject: Baba Bhootnath. Status: Bhoot. Cause of Death: 1970, Manikarnika Ghat. Reason: Excessive Trolling by Tantric in a Mantra Battle." अघोरी के होश उड़ गए। "क्या? मैं 50 साल पहले मरा था? लेकिन मेरा iPhone? मेरा #AghoriSwag? मेरी रील्स?" उसने अपनी हड्डियों की माला टटोली, जैसे उसमें कोई जवाब छुपा हो।
ब्रिजमोहन जी ने कंधे पर हाथ रखा, "बाबा, शांत हो जाओ। मैं भी भूत हूं, प्रोफेसर भी भूत हैं। हम सब मणिकर्णिका के OG भूत हैं। लेकिन तुम तो प्रीमियम भूत हो—5G कनेक्शन, iPhone 15 Pro Max, और इंस्टाग्राम फेम के साथ!" झा जी ने दार्शनिक अंदाज में कहा, "बाबा, मृत्यु एक मेटाफर है। तुम्हारा iPhone तुम्हारा माया है। तुम भूत हो, लेकिन ट्रेंडिंग भूत!"
अघोरी ने फोन नीचे रखा, राख से सना चेहरा पोंछा, और बोला, "तो मैं भी भूत हूं? लेकिन मेरा ऐप तो सही था!" तभी काला कुत्ता भौंकते हुए आया, और इंसानी आवाज में बोला, "बाबा, तुम्हारा ऐप सही है, क्योंकि तुम खुद भूत हो! भूत ही भूतों को डिटेक्ट कर सकता है!" अघोरी ने कुत्ते की ओर देखा, "तू... तू भी भूत है?"
कुत्ते ने सिर हिलाया और इंसानी आवाज़ में बोलना शुरू किया। उसकी आवाज़ ऐसी थी जैसे कोई पुराना रेडियो FM से AM पर स्विच हो गया हो। "तुम सब भूत हो—तुम दोनों, और तुम, बाबा भूतनाथ। और हाँ, मैं भी।"
कुत्ते ने आगे कहा: मैं तुम सबके के हर तर्क, हर डायलॉग, हर विचार को सुनता रहा। जिस पल आपने कहा, 'मैं ही सही हूं,' उसी पल तुम सबकी आत्मा ऑफलाइन हो गई।। आप अब लॉजिक के कंकाल हैं, विचारों के भूत।। जीवित शरीर, लेकिन आत्मा डिलीट। हम सब भूत हैं। ईगो से जकड़े, तर्कों पर अकड़े, भय को पकड़े।"
अघोरी ने अपना फोन नीचे रखा और बोला, "कुत्ते, तू सही है। मेरा ऐप 99.9% सटीक है! हम सब भूत हैं।
कुत्ते ने हँसते हुए कहा, "तुम्हारा ऐप तुम्हारे अहंकार का डाउनलोड है। भूत वो है, जो भय और अहंकार से जकड़ा है।"
अघोरी ने अपना हवन कुंड जलाया, और स्पॉटिफाई पर "महामृत्युंजय मंत्र" चला दिया। मंत्र की गूँज के साथ घाट पर एक चमकीली रोशनी फैली। ब्रिजमोहन जी, झा जी, और अघोरी को अपने शरीर हल्के लगने लगे। कुत्ते ने आखिरी बार कहा, "अहंकार छोड़ो, मोक्ष पाओ। और हाँ, बनारसी पान की आदत अगले जन्म में भी रखना!"
तभी, चिता के पास रखा वो आधा जला हुआ कुल्हड़ फट्ट से फूट गया! शमशान का धुंआ। गहरा हो गया। सब के सब अपने ईगो के साथ वैसे हीं डिलीट हो गए जैसे कि कोई ऐप क्रैश होकर डिलीट हो जाए।
तो अगली बार अगर कोई भी मणिकर्णिका घाट पर जाए , तो एक कुल्हड़ और थोड़ा सा दिमाग जरूर ले कर जाए। अगर कुल्हड़ नहीं फूटा, तो इसका मतलब तुम जिंदा हो। और अगर फूटा, तो लगे हाथ अपने अहंकार को डिलीट करो, वरना कोई अघोरी तुम्हें भूत साबित कर देगा! #MokshaVibes
और हां, इस कहानी को अपने तर्क की कसौटी पर कभी मत तोलना, वरना मणिकर्णिका की अगली रात में, आप भी ब्रिजमोहन जी, अनिरुद्ध जी ,अघोरी और उस कुत्ते के साथ भूतों की गिनती में शामिल हो जाओगे।
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