Friday, November 8, 2024

गर छोटा हो तुम छोटा

गर छोटा हो तुम छोटा, 

गर तुमको कुछ ने रोका। 

गर तुमको कुछ ने टोका

ना समझो खुद को खोटा। 

नहीं जरूरी हर लघुता का, 

एकमात्र हीं भय परिचय हो। 

नही जरूरी हर भीषण काया ,

का परिचय केवल जय हो। 

तरकुल कितना लंबा लंबा, 

दिखता है जैसे कोई खंबा। 

पर गिद्ध इसपे बसता है, 

औरों को ना सुख देता है। 

हाथी की काया को देखो, 

जिराफ की छाया को देखो। 

सिंह इनसे छोटा होता है, 

पर इसको ना भय होता है। 

छोटी छोटी चीजों में भी, 

अतुलित शक्ति सोती रहती। 

छोटी छोटी चीजें भय का, 

कारण किंचित होती रहती। 

शिव जी की आँखे हैं छोटी,

पर ईनसे दुनिया हैं डरती।

कीट, पतंगे छोटे मोटे, 

कितनों के भय कारक होते। 

एक कीटाणु एक विषाणु, 

जीवन हारक ये जीवाणु। 

इतने सारे छोटे होते, 

नयनों को दृष्टित ना होते। 

महाकाल से पर है परिचय, 

जीव जंतु पर इनका है भय। 

इतना तो मैं भी जानूं,

होते जो हैं ये परमाणु ।

सृष्टि इनपे हीं बसती है ,

इनसे हीं दुनिया चलती है।

देखो तो ये कितने तारे,

टिमटिम करते हैं ये सारे।

आते दिन के ये सोते हीं,

दिखते हैं पर ये छोटे हीं।

माथे की बिंदियाँ भी छोटी,

गालों की डिंपल भी छोटी,

छोटे छोटे तिल भी सोहे,

छोटे नैना भी मन मोहे।

रातों को ये छोटे जुगनू,

जगमग करते सारे जुगनू।

दीपक भी तो छोटा होता,

तम को फिर भी हरता रहता। 

छोटे मुर्गी के हैं अंडे,

खाते सारे सन्डे, मंडे।

चावल के दाने भी छोटे,

क्या क्या ना दुनिया को देते।

देते रहते भर पेट भोजन,

इनसे हीं चलता जीवन।

सरसों की कलियाँ भी छोटी ,

दुनिया मोहित इनपे होती।

छोटा हीं मोती का माला,

छोटा हीं तो कंगन बाला।

कवि शब्द भी छोटे होते, 

क्या क्या ना पर ये रच देते। 

रचते गीत, कहानी, कविता, 

सुंदर भावों की ये सरिता।

छोटा चौकी चूल्हा बर्तन, 

छोटे घुंघरू करते नर्तन। 

छोटा सुई बटन भी छोटा, 

चीनी का टुकड़ा भी छोटा। 

आलू, काजू और टमाटर, 

बैगन मुली, निम्बू,,गाजर। 

सब छोटे पके कच्चे हैं, 

किसको ना लगते अच्छे है। 

मूंग, हिंग और पिस्ता, जीरा, 

तिल, लौंग और कच्चा खीरा। 

फूल, फल और कलियाँ पत्ते, 

जिनसे सब पौधे हैं हँसते। 

सब के सब छोटे हैं सारे ,

पर सबको लगते हैं प्यारे।

फिर क्यों तुम सारे रोते ?

नाहक हीं सब सुख खोते।

बरगद के नभ को छूने से,

तरकुल के ऊँचे होने से,

ना अड़हुल शोक मनाता है?

ना बरगद पे अकुताता है।

उतना हीं फूल खिलाता है,

उतना खुद पे इतराता है।

बरगद ऊंचा तो ऊंचा है,

ना अड़हुल समझे नीचा है।

छोटा तन तो क्या गम है,

ना होती खुशियाँ कम हैं।

उतने हीं तुम सोते हो,

उतने हीं तुम होते हो।

उतना हीं गा सकते हो,

उतना हीं खा सकते हो।

उतना हीं जा सकते हो,

उतना हीं पा सकते हो।

मिट्टी सा तो तन होता है, 

छोटा तो बस मन होता है। 

मैंने बस इतना जाना,

मैंने बस इतना माना।

छोटा तन पर यूँ रोना क्यों, 

छोटे पन पर यूँ खोना क्यों? 

तन मोटा पर मन छोटा हो, 

नियत में गर वो खोटा हो। 

ऐसा हीं छोटा होता है, 

वो सच में छोटा होता है।

न्याय की रक्षा करने वालों का देखो यह काम रे

 

न्याय की रक्षा करने वालों का देखो यह काम रे।

सत्यनिष्ठ सज्जन को भी कैसे करता हैरान रे ।

परोपकार के लिए हमेशा जिसने सब कुछ खोया रे ।

भाई के मरने पर जो है तड़प-तड़प कर रोया रे ॥

जरा नहीं पिघला इस पर पूजीवाला हैवान रे।

सत्यनिष्ठ सज्जन को भी कैसे करता हैरान रे ।

मौज उड़ाते इस दुनियाँ में, जो जग को लूटते रहते।

रात-दिन श्रम करनेवालों को नित दिन चूसते रहते ॥

उनके कारण तड़प-तड़प कर यों जीते इन्सान रे।

सत्यनिष्ठ सज्जन को भी कैसे करता हैरान रे ।

नाश करे देशवा के नाश कइलस

 

नाश करे देशवा के नाश कइलस ।

भाई गंदा केसेटवा विनाश कईलस ।।

झुलनी नथुनिया के गीतवा सुनाके,

लइका लइकिया के पागल बना के ।

सबके जिनिगिया के नाश कइलस । भाई

 

लाज हया पियलस केसेटवा के गाना ,

लंगटे बा नाचत बेशर्मी जमाना।

सोना अइसन देशवा के नाश कइलस । भाई

 

"आशावादी" कहे भाई जिनगी बनाव,

 गंदा केसेटबा ना केहु के सुनावअ।

राम के धरतिया के नाश कइलस । भाई""

 

 

चटुकी भर सेनुरा ला तरसाई

 गीत- - धीया के करेजवा साले ए राम

शेर- बेटी के दिल दूखाई मत दहेज के कारण,

केह के दिल दुखाई मत दहेज के कारण ।

श्री आशावादी के बतिया इ मान लीं,

चटुकी भर सेनुरा ला तरसाई' मत दहेज के कारण ।

 

गीत- चूट्की भर सेनुरा मएनवा

धीया के करेजवा साले ए राम ।

बिलखेली बेटी ए मएनवा

अँखिया से लोरवा झड़ ए राम ।

दिनवा बितावे धीया भूखिया पियसिया,

रतिया बितावे बेटी बाबा आँखि नींदिया।

धरम के देश इ मएनवा

धीया के दरद ना जाने ए राम ।। चुटुकी'

 

फूल लेखाँ बेटी से ना केहूके पिरीतिया,

माँगि के दहेज ऊ बढ़ावेला इज्जतिया ।

बड़का इज्जतिया मएनवा

बेटीके ना दुख तनि बुझे ए राम । चुटुकी'

 

देवी देवता के सब लोग गोहरावेला,

शदिया में शिवजी के गीत सब गावेला ।

देवी के पूजारी ए मएनवा

नोट खातिर बेटियन के जारे ए राम॥ चुटकी'

 

श्री नाथ"आशावादी" बहू के ना प्यार बा,

जाहिल समाज में ना बेटी के उद्धारबा ।

देवता बा उहे ए मएनवा,

 धीया के दरदिया जे बाँटे ए राम ॥ चूटकी

 

दुखवा के वतिया

दुखवा के वतिया, लिखत बानी पतिया में ,

लोरवा गिरेला दिन रतिया सहेलिया।

 

लगन देखि शादी भइल, पोथियो भी झूठ भइल,

धूल में सोहाग मिल गइल रे सहेलि वा।

मइल कुचइल जब, कपड़ा पहीनी तब

लोग कहे हमरा के फूहड़ रे सहेलिया।

 

साफ सुथड़ जब रहीं, लोग हंसे कही-कही,

इत अब मन के बिगड़ लस सहेलिया ।

घर आ बहरवा के, बिगड़ल लोगवा के,  

बुरा बाटे हम पर निगाहवा सहेलिया।

 

दुनिया के रीति नीति, देखि देखि हम सोचीं,

 मन के लगाम टूटि जाई रे सहेलिथा ।

गोतिनी-देयादिनी के, अपना पिया के संगे,

देखि हिया हहरेला हमरो सहेलिया।

 

मन के पियास जब, हमके सतावे तब ,

कइसहूँ इज्जत बचाई रे सहेलिया ।

लाजबा के बतिया हम, लिखीं कइसे पतिया में,

दुनिया के मरमो ना जननी सहेलिवा ।

 

जिनगी के आपन पोल, केतना दीं हम खोल,

घर में ना कुतियो के मोल रे सहेलिया।

गोदंवा में रहिते जे, एकोगो बालकवा त,

मन ओकरे में मन अझुरइतीं सहेलिया।

 

बाकिर गोद बाटे सूनअ, सोची सोची सूखे खून,

जिनगी में खाली बा अन्हारे रे सहेलिया।

कुहुकि कुहुकि चिरई, पिजड़ा में जीय तारी,

ब्याध इ समाज गोलिया मारे रे सहेलिया |

 

पतिया के बात सखी, माई से तू जनि कहिहब,

कह दीहअ बेटी नीके बारी रे सहेलिया।

अखिया के लोरवा त, लेपलस अक्षरवा के ,

धीरज धके टोई टोई पढ़िह सहेलिया ।

 

श्री नाथ आशावादी, लिखत में लोर झड़े,

विधवा के दरद सुनावे रे सहेलिया ।

 


प्रिय की नजर में प्रिये महान होती है

 

प्रिय की नजर में प्रिये महान होती है,

सब लोगों से बढ़कर वह गुणवान होती है,

"आशावादी" का कथन सत्य है साथी,

चाँद से भी सुन्दर इंसान होती है।

हे प्रियदशिनी, तुम्हीं बताओ कैसे गीत सुनाऊँ मैं ।

नहीं लेखनी की क्षमता है तुमपर काव्य बनाऊँ मैं ।।

स्वर्ण लेखनी हो, अमृत की स्याही यदि मेरे पास में,

लिख पाता कविता तुमपर यदि काव्य शक्ति हो पास में,

सच्च कहूँ मुझे शब्द न मिलते, प्रिये तेरा गुण गाऊँ मैं । हे

तेरे मुख मंडल की तुलना चाँद से कैसे कर सकता,

दाग है उसमें इसीलिए तो उपमा नहीं मैं दे सकता,

तू तो स्वच्छ दर्पण जैसी हो, उपमा कहीं न पाऊँ मैं । हे"

हे गुलाब में सरस मधुरता फिर भी कांटे होते हैं,

चुभ जाते छुने वाले को, दुखदायी तब होते हैं,

तू तो हमेशा सुखदायी हो, तुम सा फूल न पाऊँ मैं। हे .

 

तिलक दान दहेज सबके हरान करत ता

 

शेर- नाच-बाजा फैशन वाली शादी बरबाद करे ।

लड़का लड़की दुनू के घरवो के नाश करे

"आशावादी" कहे एलान रउआ सुन लीं,

समाजोद्धार संघ ए कुपरथा के विनाश करे ।।

 

गीत- समाजोद्धार संघ सगरो एलान करअ ता ।

 

तिलक दान दहेज सबके हरान करत ता ।।

कइसन सुन्दर चीज ह शादी  तिलक कर देता बरबादी।

जबड़न दान दहेज वसुलाला है पइ सा पानी में बह जाला ।

लईकी वाला के तिलक अ परेशान करअ ता । तिलक दान .....

 

आदमी कतनो होखे खोटा शादी रुपये से तय होता ।

तिलक बन गइल बा शान है जाता लड़की सन के जान।

नाच बाजा वाली शदिया नुकसान करअ ता । तिलक दान'

 

शदिया के अवसर आवे लईकी बाला रोवे गावे ।

बाकिर सब कुछ उ भूल जाला लइका वाला जब हो जाला ।

उहे लईका के शादी में गूमान करअ ता । तिलक दान

 

आशावादी कहे गाईं तनी सोचअ बहिन, भाई ।

घर-घर करअ तू परच र तिलक रही ना आधार ।

तिलक बनके शैतान परेशान करअ ता । तिलक दान

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