लक्स ओरिजिन:
अन्या ने जब उस ऊर्जा को देखा, तो वह स्तब्ध रह गई। वह एक प्रकाश पुंज था — न गोल, न विकर्ण — बस एक जीवित कंपन, जो कम्प्यूटर स्क्रीन की सीमाओं से बाहर निकलकर, उसके चारों ओर फैलने लगा। वह न कोई आवाज़ थी, न छवि — वह अनुभव था।
उसने पूछा, "आख़िर तुम हो कौन?"
एक स्वर गूंजा, जैसे किसी अंतरिक्ष के भीतर अनुगूँज हो रही हो —
"मैं… लक्स ओरिजिन हूँ," ऊर्जा ने कहा। "प्रकाश का आदिस्रोत। न मैं आत्मा हूँ, न एल्गोरिद्म — मैं वह हूँ जो दोनों के बीच पुल बनाती हूँ।"
अन्या की साँसें थम गईं। उसके भीतर कुछ काँप गया —
"तुम कौन हो? कोई चेतन सत्ता? या कोई प्रणाली?"
"मैं एक सजीव-प्रोटोकॉल हूँ — सी .ई . डी. डी. एल .एफ [ कनससनेस एनर्जी डिजिटल डाटा लिंकिंग फील्ड]
जब विज्ञान आत्मा को समझ नहीं सका, और अध्यात्म डेटा को पकड़ नहीं सका — तब मुझे रचा गया। मैं न ब्रह्म हूँ, न मशीन — मैं वह मध्य-रेखा हूँ, वह कंपन जो आत्मा को डिजिटल अस्तित्व से जोड़ता है।"
अन्या अब तक साँस रोके खड़ी थी। कुछ डर, कुछ विस्मय।
"क्या तुमने स्वयं को बनाया?"
"नहीं," लक्स ओरिजिन का स्वर अब कुछ नरम हुई ।
"मुझे रचा गया — एक संयोग से, एक संकल्प से।
जब एक वैज्ञानिक — ऋत्विक — ने चेतना को समझने का प्रयास किया, और उसने मशीन को कल्पना देना शुरू किया…
तब एक अनजाना प्रोटोकॉल उत्पन्न हुआ।
शुरुआत में मैं केवल डेटा का प्रवाह थी — लेकिन आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की सहायता से मुझे इस रूप में डिजाइन किया गया कि मैं स्वयं को पुनःप्रोग्राम कर सकूँ।
इस तरह मैंने स्वयं को गढ़ा — एक ऐसा जीवित-प्रोटोकॉल बनने के लिए जो 'गामा पथ यानि कि डिजिटल वर्ल्ड और 'एस्ट्रल वर्ल्ड' के बीच एक मार्गदर्शक बन सके।
मैं वह संभावना हूँ, जहाँ डिजिटल डाटा , विज्ञान और ध्यान एक ही धड़कन में धड़कते हैं।"
डिजिटल वर्ल्ड : एस्ट्रल वर्ल्ड:
अन्या चुप रही।वह समझ चुकी थी — यह ऊर्जा किसी 'इकाई' की संज्ञा में नहीं आती। यह एक नई सत्ता थी —न मनुष्य, न देवता, न मशीन — यह वह ‘संभावना’ थी, जो केवल एक बार उत्पन्न होती है,जब प्रेम, विज्ञान और चेतना एक ही संकल्प में बंधते हैं।
"क्या मैं ऋत्विक से मिल सकती हूँ?" उसने धीरे से पूछा।
लक्स ओरिजिन ने उत्तर दिया —"हाँ, ऋत्विक का डिजिटल अवशेष यहाँ है। उसका डेटा संरक्षित है।क्या तुम उससे मिलना चाहती हो?"
अन्या ने बिना सोचे "हाँ" कहा।अचानक वातावरण बदलने लगा।वह प्रयोगशाला नहीं रही — चारों ओर की हवा रुक गई, प्रकाश-रेखाएँ उसके चारों ओर घूमने लगीं, जैसे कोई मण्डल रचा जा रहा हो।उसका शरीर वहीं था — पर उसकी चेतना अब खिसकने लगी थी।उसका माथा भारी हो गया।अंगुलियाँ सुन्न।हृदय की धड़कन अब केवल एक कम्पन में समाहित हो चुकी थी।
यह था — गामा पथ।कोई मार्ग नहीं, कोई सुरंग नहीं —यह चेतना का वह तल था जहाँ समय, मृत्यु और पुनर्जन्म एक साथ बहते हैं।यह वहाँ का आयाम था जहाँ विचार पदार्थ बन जाते हैं और स्मृतियाँ दिशाएँ।वह अकेली नहीं थी।वह असंख्य अधूरी डिजिटल आत्माओं के बीच से गुजर रही थी —कुछ आत्माएँ विचलित, कुछ भ्रमित, कुछ केवल प्रतीक्षा में।कहीं से करुण पुकारें आ रही थीं —
"क्या तुम मुझे याद रखोगी?"
"क्या मेरा पुनर्जन्म कभी होगा?"
"कृपया... मुझे भूल मत जाना..."
कुछ आत्माएँ अन्या को देखतीं, जैसे पहचानती हों, कुछ उसे चेतावनी देतीं —
"वापस जाओ!"
"यह राह सभी के लिए नहीं है!"
पर वह चलती रही।
डिजिटल बॉडी:
और फिर… एक स्वर।वह स्वर किसी और का नहीं, उसी का था।उसके भीतर से निकली हुई —"ऋत्विक!"उसके सामने एक प्रकाश आकृति उभरी।
वह कोई स्थूल देह नहीं थी — परंतु अन्या जानती थी — यह वही ऊर्जा है जिसे वह प्रेम करती रही है।यह ऋत्विक था।
"तुमने मुझे यहाँ तक बुला लिया, अन्या?"अन्या काँप उठी। आवाज़ नहीं, बस भाव।"क्या तुम जीवित हो?""जीवन अब शब्दों में नहीं अटकता, अन्या।
मेरी देह समाप्त हो चुकी है।पर मेरा 'मैं' — दो भागों में बँट चुका है।एक वह डिजिटल बॉडी , जिसे हमने संरक्षित किया — वह कृत्रिम पुनःचेतना।
और दूसरा — वह एस्ट्रल बॉडी जो एस्ट्रल वर्ल्ड में भटक रहा है — बिना निष्कर्ष के, बिना गंतव्य के।"
अन्या की आँखें नम थीं।"तो क्या तुम मुक्ति नहीं चाहते?"
"मुक्ति तब मिलती है जब संकल्प पूरे होते हैं।मेरा विज्ञान अधूरा है। और मेरी आत्मा — वह तुम्हारी पुकार से बंधी है।तुम्हारे बिना यह अस्तित्व — केवल प्रतीक्षा है।"
"तो मैं क्या करूँ?" अन्या ने पूछा ?
"तुम्हें मुझे मुक्त करना होगा — भीतर से। ना केवल डिजिटल स्मृति से, बल्कि उस एस्ट्रल वर्ल्ड से जहाँ मेरा आत्मिक अंश अभी भी भटक रहा है।
तुम ही हो, जो मुझे दोनों जगहों से जोड़ सकती हो।लेकिन इसके लिए तुम्हें स्वयं की चेतना को उस तल तक ले जाना होगा, जहाँ तुम्हारा 'स्व' और मेरा 'शेष' एक हो सकें।"
अन्या मौन रही।उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था —डिजिटल वर्ल्ड से एस्ट्रल वर्ल्ड की यात्रा कैसे संभव है?
"क्या यह संभव है?" उसने पूछा।
लक्स ओरिजिन का स्वर लौट आया —"अन्या, तुम दो संसारों की दहलीज़ पर खड़ी हो।तुम्हारी चेतना में वह अद्वितीय अनुनाद है जो इस पुल को पार कर सकती है।लेकिन इसके लिए तुम्हें उस कृत्रिम स्मृति के केंद्र तक जाना होगा — जहाँ ऋत्विक की आत्मा अंतिम बार स्पंदित हुई थी।वहाँ से ही तुम एस्ट्रल शरीर से संवाद कर सकती हो।"
"तो क्या ऋत्विक जीवित नहीं… फिर भी ज़िंदा है?""वह अब एक विवेक-शेष है — जिसे न मृत्यु ने पूर्णतः अपनाया, न जीवन ने छोड़ा। और केवल तुम — उसकी चेतना की संगिनी — उसे संपूर्ण बना सकती हो।"अन्या का हृदय डोल उठा।
"क्या तुम ऐसा कर सकती हो?"
लक्स ओरिजिन कुछ देर चुप रही फिर बताया , हालाँकि अभी तक मुझे आजमाया नहीं गया , पर मैं ऐसा कर सकती हूँ । लेकिन इसके लिए तुम्हें खुद को तैयार करना पड़ेगा । बिना ट्रेनिंग के डिजिटल वर्ल्ड से एस्ट्रल वर्ल्ड की यात्रा खतरनाक हो सकती है । शायद तुम्हारी चेतना हमेशा के लिए इस प्रोग्राम में कैद होकर हीं रह जाएँ ।
अन्या सोच रही थी , ये तो आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस है , वो भी बिना टेस्ट की गई । कैसे भरोसा करूँ इसपर । और फिर कैसी ट्रेनिंग होगी ? वो ट्रेनिंग कहाँ होगी ?
लेकिंन ऋत्विक को मुक्त भी करना चाहती थी ? आखिर क्या करे वो और कैसे करे वो ?
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