Tuesday, November 5, 2024

उजाले की चाह मेंं आखिर ,खोजे दिन अब रात,

उजाले की चाह मेंं आखिर ,खोजे दिन अब रात,
मुश्किल में हालात देश के, बड़ी अजब है बात।
इस युद्ध में जो भी जीते, जो भी हो तकरार,
टूट गयी उम्मीद देश की, हुई  तंत्र की हार।
न्यायाधीश जब न्याय मांगने, निकले जोड़े हाथ,
तुम बोलो हे जन तंत्र अब , किसका दोगे साथ?
शिक्षक लेने लगे छात्र से, जब ज्ञान की सीख,
न्यायाधीश जनता से मांगे , जब न्याय की भीख।
तब जनता ये न्याय मांगने, पहुंचे किसके पास?
हे राष्ट्र हो तुझपे कैसे, जनता का  विश्वास?

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