लकड़बग्घे से नहीं अपेक्षित प्रेम प्यार की भीख,
किसी मीन से कब लेते हो तुम अम्बर की सीख?डंक मारना ही बिच्छू का होता निज स्वभाब,
विषदंत से ही विषधर का होता कोई प्रभाव।
फिर अरिदल को तुम क्यों देने चले प्रेम आशीष?
जहाँ-जहाँ शिशुपाल छिपे हैं तुम्हीं बचाओ शीश।
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