राजनीति की नई मांग पर , यौवन है लाचार
वक्त रचाता अजब स्वांग है, कुंवारों की आज मांग है,
राहुल, ममता ,माया, मोदी इनके हीं न्यारे डिमांड है।
देखो कुछ तो त्यागे बीबी कुछ त्यागे भातार,
राजनीति की नई मांग पर , यौवन है लाचार।
वक्त पड़े तो दुश्मन से भी हो सकता गठ योग,
एक राह है सबका सबसे मिल सकता सहयोग।
है सबके मन के अंधियारे सपने एक हजार,
एक बार तो तब मन धन से हो जाओ तैयार।
गठबंधन का लोभ यही है सत्ता का सुखभोग सही है,
ना मुद्दा ना नीति भईया, कुर्सी का रस योग सही है।
पद पा लो किसी भांति करके , जोड़ तोड़ जुगाड़,
तब जाके कुर्सी का बंधु , सपना हो स्वीकार ।
@अजय अमिताभ सुमन
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