प्रश्न चिन्ह सा लक्ष्य दृष्टि में,निज बल से सृष्टि रचता हूँ।
फुटपाथ पर रहने वाला,ऐसे निज जीवन गढ़ता हूँ।माना द्रोण नहीं मिलते हैं,भीष्म दृष्टि में ना रहते हैं।
परशुराम से क्या अपेक्षण,श्राप गरल हीं तो मिलते हैं।
एकलव्य सा ध्यान लगाकर,निज हीं शास्त्र संधान चढ़ाकर।
फूटपाथ पर मैं पढ़ता हूँ,निज जीवन रक्षण करता हूँ।
ऐसे हीं रण मैं लड़ता हूँ,जीवन रण ऐसे लड़ता हूँ।
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