Tuesday, November 5, 2024

हे ईश्वर यदि तुष्ट है मुझसे विनती हो ये स्वीकार,

हे ईश्वर यदि तुष्ट है मुझसे विनती हो ये स्वीकार,
नहीं अपेक्षित मुझको किंचित मानवोचित उपहार।
प्रभु मेरे नहीं ईक्षित तुझसे अरिदल का हो संहार, 
प्रति जीत पे अहम पुष्ट है ,परिभव नहीं स्वीकार,
ये ह्रदय अनुराग आकांक्षी , प्रीत मेघ बौछार. 
नहीं अपेक्षित मुझको किंचित मानवोचित उपहार।
भीष्म ताप से व्यथित होकर जिसने तुझको पुकारा,
तेरा  स्नेह  अविकल बहकर देता रहता है  सहारा,
मेरा  मन  भी अति दग्ध है दे दो मुझे मृदु  धार, 
नहीं अपेक्षित मुझको किंचित मानवोचित उपहार।
करूँ प्रेम अब तुझसे हीं है ईश्वर दृढ़ निश्चय,
मृग तृष्णा भव सागर मिथ्या सृष्टि और प्रलय,
चाह नहीं ईह लोक विजय है वृथा जीत और हार,
नहीं अपेक्षित मुझको किंचित मानवोचित उपहार।
प्रभु मैंने तो तेरे वास्ते अपना सबकुछ हारा, 
धन दौलत अर्पण तुझपे है जीवन तुझपे वारा.
बन जाओ भावार्थ तुम मेरा बन जाओ मेरा सार.  
नहीं अपेक्षित मुझको किंचित मानवोचित उपहार।
मृषा विश्व है परम तत्व तू हीं ईक्छित हर बार,
नहीं अपेक्षित मुझको किंचित मानवोचित उपहार।

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