Monday, November 4, 2024

केस थे मेरे सब निपटा के,

 केस थे मेरे सब निपटा के,

कोर्ट का गाउन बैंड हटा के,
टी कैंटीन में मांगी चाय,
लॉयर मित्र ने बोला हाय।

बोला ग्यारह अभी बजा है,
कोट बैंड सब किधर चला है?
उसके चेहरे पर थी मुस्कान,
और मैं भी ना हुआ हैरान।

मैंने बोला बात क्या भाई,
तिसपर यूँ मुस्काते भाई।
मैंने भी क्या गलत किया है,
ये भारी था अलग किया है।

अंग्रेजों का है ये चोला,
अच्छा है जो मैने खोला,
अंग्रेजों की ठंड बड़ी है,
कोट बैंड सब वहीं सही है।

भारत का मौसम ना ठंडा,
फिर गाउन का कैसा फंडा?
गर्मी का मौसम जब आए,
सूझे ना फिर कोई उपाय।

सर की खुजली बहुत सताती,
नोच नोच के आफत आती।
सोचो शामत होती कैसी,
गर माथे लायर विग होती।

भरी भरी सी इस गर्मी में,
उमस में आफत नर्मी में।
पसीना तर तर कर आता,
क्या लायर सबमिट कर पाता।

गर्दन पे हो लॉयर बैंड ,
लॉयर की बजाते बैंड।
माथे विग और चढ़ा हो कोट,
क्या लॉयर को मिलेगी ओट।

ये तो अच्छी बात हुई है,
सर पे विग ना चढ़ी हुई है।
जो कुछ भी लगते बचकाने,
क्यों अंग्रेजी बात हम माने?

मित्र ने बोला सुन लो भाई,
लाएर विग की जो सच्चाई।
नहीं बुराई लायर विग में,
गुण बहुत छिपते हैं इसमें।

बैठे सर पे कितने मच्छर,
कष्ट नहीं होता कोई सरपर।
मख्खी से भी सहज बचाये,
खुजली का भी रहा उपाय।

चाहे कितनी बार खुजा लो,
नोच नोच लो नहीं सुजा हो।
कुछ की इज्जत भली बचाती,
विग ये कुछ को है चम काती।

बैरिस्टर विग की कुछ गाथा,
जो सूखे से पचके आधा।
विग लगाकर पहन लाबादा,
राजा सा दिखते सब प्यादा।

ना समझो विग को तुम ऐसी,
समझो इसकी इज्जत कैसी।
कुछ बुध्धु की बुद्धि छिपाती,
कुछ की गरिमा खूब बचाती।

सोचो गर ये विग ना होती,
गंजे लॉयर की क्या होती।
जिनके सर चंदा उग आते,
बैरिस्टर विग राज छुपाते।

उनके सर जब विग सज जाती,
उनकी ईज्जत खूब बचाती।
इस विग को ना कहो फिजूल,
बहुत से लॉयर हैं चंडूल।

तो भाई ये ज्ञान पुराने ,
इनसे अबतक थे अनजाने।
अंग्रेजों की देन सही है ,
पर ये विग तो सही सही है ।

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