कॉफी बनाम चाय युद्ध – एक अदालत में टकराव
अदालत में दो वकील, श्रीमान A और श्रीमान B, एक बेहद गर्मागर्म बहस में उलझे हुए थे। आवाज़ें इतनी ऊँची हो चुकी थीं कि जज साहब की कुर्सी तक हिलने लगी। हाथ हवा में लहरा रहे थे, आपत्तियाँ लगातार दर्ज की जा रही थीं।
न्यायाधीश (हंसते हुए बीच में टोकते हैं):
"वकील महोदय, आप दोनों तो ऐसे बहस कर रहे हैं जैसे कोई जंग छिड़ी हो! कभी चाय के साथ बैठकर मामला सुलझाने की कोशिश की है?"
श्रीमान A (गुस्से में उंगली उठाकर):
"असंभव, महोदय! मुझे सिर्फ़ स्ट्रांग कॉफी पसंद है!"
श्रीमान B (मुस्कुराते हुए):
"और मैं, महोदय, बिना चाय के कोई बहस नहीं कर सकता!"
न्यायाधीश (मजाकिया अंदाज में):
"अच्छा! तो यह सिर्फ़ कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि चाय और कॉफी की भी जंग है!"
श्रीमान A (हाथ बाँधकर):
"बिलकुल सही, महोदय! इनकी चाय इतनी हल्की होती है कि उससे मुझे नींद आ जाएगी!"
श्रीमान B (झट से पलटवार करते हुए):
"और इनकी कॉफी इतनी कड़वी है कि मुझे उल्टी होने लगती है!"
न्यायाधीश (हंसते हुए सिर हिलाते हुए):
"अच्छा, तब तक आप दोनों पानी ही पीजिए—कम से कम जब तक कोई समझौता 'करने' की कला नहीं सीख लेते!"
(अदालत में ठहाकों की गूंज!)
कानूनी हास्य प्रसंग
एडवोकेट अजय अमिताभ सुमन
पेटेंट और ट्रेडमार्क अटॉर्नी, दिल्ली उच्च न्यायालय
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