Wednesday, November 6, 2024

क्यूँ आज भी हमारा

 क्यूँ आज भी हमारा , हमदम नहीं इस शहर में ,

ना पूछा किसी ने , ना हमसे बताया गया।

मुलाकातें होती रही , रिश्ते तो बनते रहे ,
ना किसी को थी जरूरत , ना हमसे निभाया गया।

दुनिया तेरे तरीकों ने , सताया बहुत हमें ,
समझ के नाकाबिल ना , हमको समझाया गया।

फासले बढते रहे , दिल-दिमागो के दरमियाँ ,
उलझनें सजती रहीं , ना हमसे सुलझाया गया।

अमिताभ खुद से अजनबी बन गए रफ्ता रफ्ता,
रूठे जो खुद से खुद को , ना अब तक मनाया गया।

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