पापा पूछे रिंकू बेटा,मचा हुआ क्या खेल?
गणित परीक्षा में कर आया,फिर से क्यों तू फेल?रिंकू बोला अजब कहानी,पर पापा मुझको बतलानी,
टीचर से रिश्ता मेरा ,है कैसा समझानी।
गणित परीक्षा में बुद्धि पर चली हुई थी रेल,
आओ पापा मैं बतलाऊँ मैं टीचर का खेल।
प्रश्न पत्र में टीचर ने थे,ऐसे प्रश्न बिठाए,
काम ना आती अपनी बुद्धि ,कैसे जुगत भिड़ाए।
गुस्से में हमने भी आकर ,क्या क्या था लिख डाला,
एक प्रश्न के चार थे उत्तर ,सबका सब टिक डाला।
हेड टेल का झंझट छोड़, सब कर डाला टेल,
इसीलिए तो पापा आखिर मचा हुआ ये खेल।
गणित पत्र में वही प्रश्न थे ,उनको जो भाता था,
उत्तर में लिख डाले मैंने ,जो मुझको आता था।
मैथ के पेपर में धरती का ,नक्शा डाला गोल,
टीचर की हीं गलती थी क्यों,पढ़ा नहीं भूगोल?
टीचर का मेरी बुद्धि से हुआ नहीं था मेल।
गड़बड़ झाला सब उनका हीं रचा हुआ है खेल।
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