Wednesday, November 6, 2024

आजादी से आज तक

 आजादी से पहले, आजादी से आज तक,

बदलते रहे इलाज, पर मर्ज वही आज तक।
ये मुल्क है जनाब, थे एक नहीं कल भी ,
हाँ अब भी बिखरे हुए, कि दर्द वही आजतक।
टुकड़े हुए थे देश के,जिस शक ओ शुबहा पर,
जमा हुआ है रूह में , वो गर्द अभी आज तक।
बात यूँ है अमन की , मिट गया जो भी चला ,
रह गया है बाकी वो, कर्ज अभी आज तक।


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