Wednesday, November 6, 2024

भावों के संसार निरंतर

 प्यार करोगे ,

तो एक प्रेमी ,
गर दुलार,
तो हूँ मैं स्नेही।

नफरत, तिरस्कार का ,
इबादत , उपकार का ।
हताश हूँ, फटकार पे ,
निराश हूँ, दुत्कार पे ।

उपहास से हूँ , क्लेशग्रस्त ,
और परिहास से, द्वेषत्रस्त ।
अनादर पे, रोष हूँ मैं ,
प्रसंशा पे, मदहोश हूँ मैं ।

हार का, संताप हूँ ,
जीत की, उल्लास हूँ ।
सम्मान हूँ, जहाँ आदर है ,
अभिमान हूँ, जहाँ सादर है ।

भरोसे का विश्वास हूँ मैं ,
उत्साही की आस हूँ मैं ।
भावों के संसार निरंतर,
और इनके संप्रेषण ।
कर रहा परिलक्षित हूँ मैं,
एक प्रतिबिंबित दर्पण ।


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