ध्रुवलोक - अग्निबोध का पुनर्जन्म" स्थान: आर्कट्यूरस मंडल का उपग्रह-ग्रह — ध्रुवलोक समय: 6000 पृथ्वी-वर्ष आगे का भविष्य स्थिति: जब चेतनाएँ समय-रेखाओं को पार कर संवाद करती हैं
- 🔭 ध्रुवलोक — वह ग्रह जहाँ समय तरल होता है ध्रुवलोक एक ऐसा ग्रह था, जहाँ समय केवल घड़ी नहीं, एक चेतन अनुभूति था।
यहाँ की प्रजातियाँ — “नवस्पर्शी” — संवेदनाओं से ऊर्जा खींचती थीं। यहाँ न भाषा थी, न मुद्रा… केवल चेतना की तरंगें, और कर्म का कंपन।
इन्हीं में एक नवस्पर्शी बालक जन्म लेता है — जिसकी त्वचा नीली थी, आँखें पारदर्शी, और हृदय में… अग्निबोध की स्मृति।
- 🌌 वह कौन है? वह जो भूत और भविष्य दोनों से बात करता है उस बालक का नाम दिया गया — ईशान।
पर जन्म के साथ ही वह कभी-कभी मौन बैठ कुछ असंभव-से वाक्य कहता:
"अन्या... ऋत्विक... मैं भूलना नहीं चाहता…" "पृथ्वी... जल रही है... पर चेतनाएँ लौट रही हैं…" "ध्यान और विज्ञान... अभी भी अलग हैं... क्यों?"
ग्रह के वृद्धों ने कहा:
“यह वह है जो स्मृतियों से बना है। वह जो एक ग्रह की नहीं, समस्त सभ्यताओं की कड़ी बनकर आया है।”
- 🧬 भविष्य की चेतनाओं का आगमन एक रात जब ईशान ध्यान में था, उसके चारों ओर प्रकाश की सात आभाएँ प्रकट हुईं।
ये थीं — "भविष्य से लौटती चेतनाएँ", जो कभी पृथ्वी पर ऋषि, वैज्ञानिक, प्रेमी, क्रांतिकारी और साधक रहे थे।
वे बोले:
“ईशान… अग्निबोध… तुम्हारा पुनर्जन्म व्यर्थ नहीं। अब तुम्हें नव सभ्यता के बीज ध्रुवलोक में बोने हैं — ताकि पृथ्वी पुनः जागे।”
ईशान ने पूछा:
“क्या पृथ्वी अभी भी अस्तित्व में है?” “क्या प्रेम और विज्ञान वहाँ मिल पाए?”
एक चेतना बोली:
“वहाँ सब कुछ अब मशीन है — पर आत्मा की पुकार अभी भी सुनाई देती है।”
- 🚀 मिशन: स्मृति बीज चेतनाओं ने ईशान को एक ऊर्जा-बिंदु सौंपा — "स्मृति बीज" — एक ऐसा कोड जो हर आत्मा में प्रेम, करुणा, और जिज्ञासा को पुनः सक्रिय कर देता है।
उसे एक यान में बिठाया गया — जो स्मृति-तरंगों से चलता था। यान ने उसे न किसी दिशा में, न किसी समय में भेजा…
बल्कि एक ऐसी समयरेखा में, जहाँ वह अपनी चेतना भूत, भविष्य और वर्तमान — तीनों में प्रतिरोपित कर सके।
- 🌺 एक नई योजना — "त्रिकाल-केंद्र" अब ईशान / अग्निबोध ने एक योजना रची — वह तीन स्तरों पर चेतना के बीज रोपेगा:
भूत में — उन स्मृतियों को जागृत कर जो विज्ञान और प्रेम को कभी अलग मानती थीं
वर्तमान में — उन बच्चों के मन में जो तकनीक से तो जुड़ते हैं, पर आत्मा से नहीं
भविष्य में — उन ग्रहों पर जहाँ नव-संवेदना आधारित सभ्यता का जन्म होना है
🌠 अंतिम दृश्य: ईशान ने आँखें बंद कीं। वह अब कोई बालक नहीं था — वह अग्निबोध का अगला रूप था।
"मैं पृथ्वी को नहीं छोड़ता — मैं हर ग्रह में, हर हृदय में प्रेम और विज्ञान का सेतु बनकर जीवित रहूँगा…"
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